अक्सर घर परिवार, रास्ते-बीच में चिकित्सक के उपलब्ध न रहने तक प्राथमिक उपचार की जरूर हो जाती है. लेकिन प्राथमिक उपचार में होम्योपैथी से बढि़या कोई विकल्प नहीं है, इस बात का कोई प्रचार नहीं किया जाता. हालांकि काफी मामलों में होम्योपैथी बिना किसी जोखिम के बहुत कारगर हो जाती है. क्योंकि होम्योपैथी यदि फायदा नहीं पहुंचाती तो नुकसान भी कोई नहीं करती. प्राथमिक उपचार के कुछ उदाहरण देखिएः
चोट लगने पर होम्योपैथी :
घर में कोई न कोई दुर्घटना हो ही जाती है. सब्जी काटते समय यदि हाथ में चाकू लग गया तो खून बहने लगता है. कई बार रोके नहीं रुकता. यदि डाक्टर तक भागा जाए तो डाक्टर तक पहुंचने में काफी देर जाएगी, ऊपर से वहां लाईन लगी मिली तो और भी दिक्कत. जब तक शरीर के लिए अमृत खून काफी मात्रा में बह जाएगा. बहुतों को तो खून देखते ही घबराहट होने लगती है. कई बार परिवारों में चोट लगने या कटने पर घरेलू कपड़ा या पट्टी बांध ली जाती है, जो कि कई बार जोखिम बन जाती है, क्योंकि वहां सेप्टिक बनने का खतरा बन जाता है या हो जाता है- जिसके बाद घाव ठीक होना मुश्किल हो जाता है या ठीक होता ही नहीं, फिर वह अंग काटना पड़ सकता है. लेकिन होम्योपैथी से ऐसा कोई जोखिम नहीं रहता. घाव भी जल्दी ठीक हो जाता है.इसके लिए आप होम्योपैथी की हैमामेलिस वरजिनिका क्यू, हैमामेलिस वरजिनिका -30, आर्निका मोण्टेना-30, फेरम फास-30, एकोनाईट-30, हाइपेरिकम-30, लिडम पैलस्टर आदि रखिए. जैसे चोट आदि के कारण कहीं से खून बहने लगे तो तुरंत उस स्थान पर हैमामेलिस वरजिनिका की क्यू पावर वहां छिड़क दीजिए या रूई से लगा लें. और हैमामेलिस वरजिनिका की क्यू पावर की 10-12 बूंद आधा कप पानी में डालकर पी लीजिए, देखिए कितनी जल्दी खून बन्द होता. फिर चाहे आप डाक्टर से पट्टी कराएं या कोई क्रीम लगाकर पट्टी बांध लें. आप हेमामेलिश की भी नियमित पट्टी कर सकते है. घाव भी जल्दी ठीक होगा. इसके साथ आर्निका मोण्टेना-30, फेरफ फास-30, केल्केरिया सल्फ-30 भी कुछ दिन खा सकते हैं. आर्निका मोण्टेना-30 एंटीसेप्टीक का बहुत बढि़या काम करती है. यह सेप्टीक नहीं बनने देती. इसे लेने पर आपको कोई इंजेक्शन लगवाने की जरूरत नहीं है.
यदि घाव हड्डी तक हो गया है तो हाईपैरिकम-30, केल्केरिया फास-30 लें, रूटा-30 ले सकते हैं.
यदि दर्द में आर्निका लेने से आराम न आ रहा हो तो लिडम पैलस्टर-30 लेंकर देखें.
हड्डी टूटने के बाद जुड़ने में समय लग रहा हो या जुड़ने में परेशानी हो रही हो तो केल्केरिय फास-30 तथा ले लें- सिम्फाइटस आफिसिनेल, लें. ले लें- सिम्फाइटस आफिसिनेल हड्डी जोड़ने की बहुत बढ़िया दवाई है. यह दवा पीने व लगाने दोनों में अच्छा काम करती है.
चोट, कटने से हुआ घाव ठीक न हो रहा हो, उसमें पीब पड़ गई हो तो
आर्निका मोण्टेना-30
साईलेशिया-30
केल्केरिया सल्फ-30 लें.
किसी दुर्घटना के कारण बेहोशी आदि हो रही हो तो रेस्क्यू-30 दें.
यदि आंख की पुतली में चोट लग गई है तो आर्निका-30, फेरमफास-30 लें. साथ ही इनमें से एक दवाई साथ में आर्टिमिसिया वल्गैरिस लें.आर्टिमिसिया वल्गैरिस आंख की चोट की बहुत बढ़िया दवाई है. यह दवाई आंख में चोट लगने पर दूसरी परेशानियों को भी दूर करती है.
चोट, खरोंच पर लगाने के लिए कैलेण्डुला, आर्निका की क्रीम भी आती है. जले हुए स्थान पर लगाने के लिए केन्थरिश की भी क्रीम आती है. यह क्रीमें हमेशा घर में रखनी चाहिए.
जलने पर होम्योपैथी :
इसी तरह यदि किसी कारण शरीर का कोई भाग जल जाए तो आप कैन्थरिश की क्यू व 30 पावर जरूर रखें. कैन्थरिश की क्यू पावर की कुछ बूंदे पानी में डालकर जले भाग लगाएं, तुरंत आराम आएगा, फफोले भी नहीं पड़ेंगे. जलन भी खत्म होगी व घाव जल्दी ठीक होगा. कैन्थरिश क्यू की क्रीम भी होम्योपैथी की दुकान पर मिलती है. इसे घर में रखें. कुछ दिन कैन्थरिश -30 व फेरम फास-30 को गोली में बनाकर 4-4 गोली दिन में चार बार लें. देखिए, घाव कितनी जल्दी ठीक होता है, आप भी अचंभा करेंगे. दो दवाओं के बीच में 10 मिनट का अंतर रखें.सेप्टिक(टिटनेस) को भी ठीक करती है होम्योपैथी
आर्निका माण्टेना-30 एंटीसेप्टिक का बहुत बढि़या काम करती है. किसी भी तरह से चोट लगने पर, यानी लोहे से भी चोट लगने पर आर्निका माण्टेना-30 ले लेनी चाहिए. इसके साथ लिडम पैलस्टर-30 भी ले सकते हैं. यह सेप्टिक नहीं बनने देती. इसे लेने पर आपको कोई इंजेक्शन लगवाने की जरूरत नहीं. यदि चोट लगने के बाद सेप्टिक बन गया है, इलाज कराते-कराते भी ठीक नहीं हो रहा है तो एक बार होम्योपैथी का जरूर इस्तेमाल करके देखें. सेप्टिक होने की वजह से गल रहा अंग कटने से बच सकता है. घाव सुखाने, पीप रोकने-सोखने, ठीक करने में केल्केरिया सल्फ जैसी अनेक दवाईंया हैं, जो घाव को ठीक कर देती हैं. आर्निका माण्टेना, लीडम जैसी दवाईंयां सेप्टिक को ठीक करने में बहुत कारगर है. आर्निका माण्टेना, कैलेण्डूला के मरहम भी मिलते हैं. मरहम चोट पर लगाएं. कैलेण्डुला भी कटे-छिले घाव के लिए अच्छी दवा है. यह दर्द को कम करती है.कीट पतंगे काटने पर :
कई बार घर में या दूसरी जगह ततैया, मधु मक्खी, आदि शरीर में कहीं न कहीं डंक मार देते हैं. डंक इतना भयंकर होता है कि डंक वाले स्थान पर बहुत दर्द होता है. शरीर का वह हिस्सा सूज भी जाता है. आप इस तरह के समय के लिए घर में लिडम पैलस्टर व एपिस मेल रखें. डंक वाले स्थान पर लिडम पैलस्टर क्यू की कुछ बूंद छिड़के या रूई से लगाएं. साथ ही लिडम पैलस्टर-30 तथा एपिस मे.30 की 4-4 बूंदे 10-10 मिनट के अंतर से जीभ पर डालकर लें. यह दवाईंया सूजन नहीं होने देगी, यदि सूजन हो गई तो उसे जल्द ठीक करेगी. दर्द को भी कम करेगी. चूहे के काटने पर भी यह दवा प्रयोग कर सकते हैं, उसी तरह.नक्सीर छूटने होने पर :
कई बार तेज धूप, गर्मी की वजह से नक्सीर छूट जाती है और तेज खून नाक से बहने लगता है, डाक्टर के पास ले जाने तक काफी देर हो सकती है. इसके प्राथमिक उपचार के लिए प्रथम तो सिर पर गीला तौलिया रख दें. उसके बाद यदि लाल सुर्ख खून हो तो तुरंत पहले हेमामेलिश क्यू में 12 बूंद आधा कप पानी में पिला दें. यही दवा नाक में किसी प्रकार डालें, इसके लिए चम्मच, रूई आदि का प्रयोग कर सकते हैं. फिर एकोनाईट नेपलेस-30 की 4 बूंदे मुंह में डालें. इसके बाद ब्रायोनिया-30 की 4 बंदें दें. दवाईंया देने में 10-10 मिनट का अंतर रखेंनियमित तौर पर दवाई खाने के लिए लक्षण देखकर दवाई दें. जैसे :
एकोनाईट नेपलेस-30
ब्रायोनिया ऎल्ब-30
मेरे अनुभव में एक व्यक्ति की 6-7 साल पुरानी नक्सीर ब्रायोनिया-30 से ठीक हो गई थी, 5 साल हो गये ठीक हुए, उसे आज तक दोबारा नहीं छूटी.
ध्यान रखें : उपरोक्त जानकारी होम्योपैथी के प्रचार व जानकारी बढ़ाने के लिए है. इसलिए कोई दवा डाक्टर की सलाह से या अच्छी तरह सोच-समझकर व अध्ययन के बाद ही लें.