बच्चा बोल न पाने की वजह से अपनी तकलीफ के संबंध में न तो बोलकर बता पाता न इशारे से बता पाता है. फलतः बच्चा रोने लगता है- काफी कोशिशों के बाद भी वह चुप नहीं होता. अभिभावक परेशान हो जाते हैं, पता नहीं क्या हो गया है बच्चे को! कई बार तो अभिभावक डाक्टर के पास न ले जाकर उसकी नजर उतारने लग जाते हैं.
एलोपैथी इलाज पद्धति के अनुसार भी जब तक तकलीफ का अंदाजा सही न हो तो दवाई देने के बाद भी बच्चे का रोना बन्द करना मुश्किल हो जाता है. लेकिन होम्योपैथी में रोते बच्चे को चुप कराने का समाधान संभव है, चाहे बच्चा किसी भी तकलीफ की वजह से रो रहा हो. चाहे चिढ़चिढ़ेपन की वजह से या किसी भय, बुरा सपना देखने, दांत निकलने के कारण बच्चा रोकर परेशान करता हो.
बच्चे की कोई विशेष तकलीफ जाने बिना, बिना कोई विशेष कारण जाने केवल बच्चे के रोने के लक्षण के अनुसार दवाई देकर बच्चे का रोना बन्द किया जा सकता है, इससे बच्चे के अन्दर कोई तकलीफ हुई हो, वह भी ठीक हो सकती है.
बच्चा सोकर अचानक उठे और बुरी तरह से रोने लग जाए, ऐसा लगे जैसे बच्चा भय, या बुरा सपना देखकर उठा हो रेस्क्यू-30 दें. यह भय को दूर करने की बहुत अच्छी दवा है. कई बार रात को बच्चे को होने वाली कई तकलीफों में फायदा दे देती है, जब डाॅक्टर उपलब्ध होना कठिन हो जाता है. रात को बच्चे की कोई तकलीफ समझ न आए तो एक बार इस दवा को देकर जरूर देखें.
बच्चा रोकर परेशान करे. सिर दर्द, पेट दर्द का अंदेशा हो. पेट में भारी-पन महसूस हो तो
मेगफास-30, पल्सटिला-30
देकर देखें. यदि रात का वक्त हो, उपरोक्त दवाओं से आराम न महसूस हो तो इन दवाओं के बाद एक बार ओपियम-30 देकर देखें. ओपियम केवल रात के समय दें. ओपियम दर्द को कम करते हुए नींद लाने का काम करती है.
मूत्रा करने से पहले बच्चे का रोना, बार-बार पेशाब करना, निद्रा में अचानक चिल्ला उठना
बोरेक्स-30, रेस्क्यू-30
दिन के समय शांत रहना, रात को रोना, सोकर अचानक उठकर रोना, सिर घुमाना ऐसा लगना जैसे डर गया हो, मल में बदबू
जैलापा-30, जिंकम मेट-30
साईलेसिया-30
बच्चा हाथ लगाने, उसकी तरफ देखने से ही रोना, केवल गोद में घुमाने से चुप रहना, जीभ सफेद
एण्टीम क्रूड-30, सीना-30
केल्केरिया फाॅस-30
बच्चा छोटा हो या बड़ा, काफी बार बिना किसी खास तकलीफ के पूरे दिन रात रोते रहना, जरा-जरा सी बात पर रोना, गुस्सा होना, जिद्द करना, कोई चीज देने पर चुप होना या उसे भी फैंक देना, चुप करने से और अधिक रोना
कैमोमीला-30, केल्केरिया फास-30
नेट्रम म्यूर-30
दांत निकलते समय बच्चा चिढ़चिढ़ा हो गया हो, रोता हो
केल्केरिया फाॅस-30 नेट्रम फास-30, एंटीम क्रूड-30
बच्चे के अन्दर मिट्टी खाने के लक्षण हों या सलेटी आदि खाता हो
केल्केरिया फास-30, नेट्रम फाॅस-30, ऐल्यूमीना-30
गुस्से में बच्चे में एंठ, अकड़ जाने का भाव होने पर इग्नेशियाऐमेरा-30, कैमोमीला-30
एलोपैथी इलाज पद्धति के अनुसार भी जब तक तकलीफ का अंदाजा सही न हो तो दवाई देने के बाद भी बच्चे का रोना बन्द करना मुश्किल हो जाता है. लेकिन होम्योपैथी में रोते बच्चे को चुप कराने का समाधान संभव है, चाहे बच्चा किसी भी तकलीफ की वजह से रो रहा हो. चाहे चिढ़चिढ़ेपन की वजह से या किसी भय, बुरा सपना देखने, दांत निकलने के कारण बच्चा रोकर परेशान करता हो.
बच्चे की कोई विशेष तकलीफ जाने बिना, बिना कोई विशेष कारण जाने केवल बच्चे के रोने के लक्षण के अनुसार दवाई देकर बच्चे का रोना बन्द किया जा सकता है, इससे बच्चे के अन्दर कोई तकलीफ हुई हो, वह भी ठीक हो सकती है.
बच्चा सोकर अचानक उठे और बुरी तरह से रोने लग जाए, ऐसा लगे जैसे बच्चा भय, या बुरा सपना देखकर उठा हो रेस्क्यू-30 दें. यह भय को दूर करने की बहुत अच्छी दवा है. कई बार रात को बच्चे को होने वाली कई तकलीफों में फायदा दे देती है, जब डाॅक्टर उपलब्ध होना कठिन हो जाता है. रात को बच्चे की कोई तकलीफ समझ न आए तो एक बार इस दवा को देकर जरूर देखें.
बच्चा रोकर परेशान करे. सिर दर्द, पेट दर्द का अंदेशा हो. पेट में भारी-पन महसूस हो तो
मेगफास-30, पल्सटिला-30
देकर देखें. यदि रात का वक्त हो, उपरोक्त दवाओं से आराम न महसूस हो तो इन दवाओं के बाद एक बार ओपियम-30 देकर देखें. ओपियम केवल रात के समय दें. ओपियम दर्द को कम करते हुए नींद लाने का काम करती है.
मूत्रा करने से पहले बच्चे का रोना, बार-बार पेशाब करना, निद्रा में अचानक चिल्ला उठना
बोरेक्स-30, रेस्क्यू-30
दिन के समय शांत रहना, रात को रोना, सोकर अचानक उठकर रोना, सिर घुमाना ऐसा लगना जैसे डर गया हो, मल में बदबू
जैलापा-30, जिंकम मेट-30
साईलेसिया-30
बच्चा हाथ लगाने, उसकी तरफ देखने से ही रोना, केवल गोद में घुमाने से चुप रहना, जीभ सफेद
एण्टीम क्रूड-30, सीना-30
केल्केरिया फाॅस-30
बच्चा छोटा हो या बड़ा, काफी बार बिना किसी खास तकलीफ के पूरे दिन रात रोते रहना, जरा-जरा सी बात पर रोना, गुस्सा होना, जिद्द करना, कोई चीज देने पर चुप होना या उसे भी फैंक देना, चुप करने से और अधिक रोना
कैमोमीला-30, केल्केरिया फास-30
नेट्रम म्यूर-30
दांत निकलते समय बच्चा चिढ़चिढ़ा हो गया हो, रोता हो
केल्केरिया फाॅस-30 नेट्रम फास-30, एंटीम क्रूड-30
बच्चे के अन्दर मिट्टी खाने के लक्षण हों या सलेटी आदि खाता हो
केल्केरिया फास-30, नेट्रम फाॅस-30, ऐल्यूमीना-30
गुस्से में बच्चे में एंठ, अकड़ जाने का भाव होने पर इग्नेशियाऐमेरा-30, कैमोमीला-30
बच्चे के रोने में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के संक्षिप्त लक्षण
कैमोमीलाः चिढ़चिढ़ा बच्चा. बच्चे का गुस्से में भरे रहना जैसे कुछ मांग रहा हो, लेकिन कुछ देते ही उसे फैंक देना. बहुत अधिक गुस्सा, जिद्द करना व हर वक्त रें रें करते रहना. दांत निकलते समय बच्चों को नींद आने के समय भी यह अच्छा काम करती है. बच्चे का नींद में चैंकना, बेचैन रहना, हाथ-पैर मारना.
कैल्केरिया फाॅसः यह बच्चों में केल्षीयम की कमी को दूर करने की प्रमुख दवाई है. केल्षियम की कमी की वजह से होने वाले रोगों में यह अपनी क्रिया करती है, तथा दांत निकलते समय बच्चों में होने वाले रोगों में यह फायदेमंद है. यदि बच्चों को यह दवाई नियमित दी जाए तो उनके दांत जल्दी से खराब नहीं होते, दांतों की बीमारी से बच्चे बचे रहते हैं.
एण्टिमोनियम क्रूडः बच्चे की जीभ सफेद. बच्चा गुस्सेबाज, चिड़चिड़ा. उसकी तरफ देखने, उससे हाथ लगाने से रोना. मल में सफेद-पन.
सीनाः बार-बार नाक खोंटना, खुजाना. भूख अधिक. पेट में कीड़े होने के लक्षण. बच्चे का रो-रोकर हाथ-पैर पटकना. शरीर पर हाथ लगाने से और अधिक रोना. केवल गोद में रहना. रात को बेचैन रहना. नींद से उठकर रोने लगना. पेशाब गंदा. खाना खाने के कुछ दूर बाद ही खाना मांगना, भूख अधिक.
नेट्रम म्यूरः बहुत अधिक भूख लगना, हमेशा खाना मांगना, ज्यादा खाने के बाद भी शरीर न पनपना. सांत्वना या चुप करने पर और अधिक रोना, चिढ़ना.
साइलिसियाः बच्चे को कब्ज. मल में बदबू. बच्चे का पेट मोटा, सिर बड़ा परन्तु पैर दुबले-पतले. बदबूदार पसीना. बच्चा जिद्दी तथा हमेशा रोते रहना. सिर में पसीना आता है.
नैट्रम फासः इसका प्रमुख लक्षण बच्चे का मिट्टी खाना है. बच्चा दूध उल्टता है तथा खट्टी बदबू वाले दस्त करता है. दस्त हरे भी हो सकते हैं. बच्चे सोते समय दांत किड़किड़ाता है.
ऐल्यूमीनाः वो बच्चे जो मां के दूध पर न पलकर ऊपरी दूध पर पल रहे हों, कमजोर, गुस्से बाज व चिड़चिड़े. बच्चे के जो हाथ आता है वही खा जाता है चाहे चाक हो या कोयला, मिट्टी, नमक. मल बहुत सख्त तथा गांठ-गांठ सा तथा आंव युक्त. मल करने के लिए बच्चा बहुत जोर लगाता है. नरम मल के लिए भी जोर लगाता है.
इग्नेशिया ऐमेराः इसका सबसे बड़ा लक्षण है बच्चे को डांटने पर, बच्चे को अधिक गुस्सा आने पर उसे अकड़न, ऐंठन होना या अन्य कोई तकलीफ होना.
जैलापाः बच्चे का दिन-रात रोना कई बार बच्चा दिन में हंसता, खेलता है लेकिन रात होते ही तेज-तेज रोने लगता है. दस्त लगे रहने पर बच्चे के रोने पर यह दवा और भी अच्छा काम करती है.
जिंकम मेटः नींद से जगकर बच्चे का बुरी तरह रोने लगना, सिर पटकना जैसे डर गया हो ऐसा भाव प्रकट करना.
बोरेक्सः जरा सी बात पर डर जाना. नींद की अवस्था में अचानक चिल्लाकर उठ जाना. पेशाब गर्म, पेशाब करते समय बच्चे का रोना. ऊंचाई से डरना. यहां तक कि कुर्सी, चारपाई पर से भी उसे डर लगता है, गोद में लेकर उसे उतारना पड़ता है.
रेस्क्यूः यह मुख्यतः भय, बेहोशी को दूर करने वाली दवा है. चाहे भय, बेहोशी किसी भी वजह से हो. भय, बेहोशी दुर्घटना की वजह से भी हो सकती है या अन्य कारण से. आप इसका एक बार इस्तेमाल करके देखें, जरूर फायदा होगा. बच्चा अगर बिना किसी कारण या आपको कोई कारण समझ न आ रहा हो तो यह दवा देकर बच्चे को देकर सुला सकते हैं.
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